शाम ढलते ही हो जाता है घनघोर अंधेरा भक्तों को सताता है जंगली जानवरों का भय
मड़वारानी (आधार स्तंभ) : पहाड़ों वाली मां मड़वारानी का दरबार सज चुका है, मां मड़वारानी के दर्शन करने भक्त बड़ी संख्या में पहुंच रहे है पर भक्तों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पानी की समस्या तो माता के दरबार के लिए कोई नई समस्या नहीं है इस समस्या से तो माता के दरबार में आने वाले भक्तों जूझना ही पड़ता है पर इस बार एक और नई समस्या भक्तों को परेशान कर रही है। सूर्यास्त के बाद माता के दरबार में जाने वाले तथा आने वाले भक्त जंगली जानवरों से भरे रास्ते पर अंधेरे में आने जाने को विवश है, क्योंकि क्रेडा विभाग के द्वारा पहाड़ के नीचे से लेकर माता के दरबार पर जो लाइट लगाई गई थी वो खराब हो चुकी है और विभाग को इसकी सुध लेने का समय नहीं मिल रहा है। और शायद जब तक विभाग अपनी कुंभकर्णीय निद्रा से जागेगा तब तक मां मड़वारानी के दरबार में नवरात्रि का पर्व समाप्त हो जाएगा।
ज्ञात हो कि मां मड़वारानी के मंदिर तक जाने का रास्ता जंगल के बीच से होकर गुजरता है जो कि विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों और जीव जंतुओं का रह निवास है। अक्सर इस रास्ते पर भक्तों का भालू ,जंगली सुवर, तथा अनेक प्रकार के जीव जंतुओं से सामना हो जाता है जिससे पूर्व में अनेक प्रकार की दुर्घटनाएं हो चुकी है। जिसे देखते हुए तत्कालीन सांसद श्री बंशीलाल महतो की पहल पर खनिज न्यास मद से क्रेडा विभाग द्वारा इस दुर्गम मार्ग पर सौरऊर्जा से संचालित लाइट लगवाई गई थी, जो प्रारंभ में तो बहुत अच्छे से रास्ते को प्रकाशित कर रही थी परन्तु प्रशासनिक निष्क्रियता एवं देख रेख के अभाव में अब आलम यह है कि मार्ग को रौशन करने के लिए लगाए गए 147 पोल में से केवल 16 ही चालू है और वह भी मंदिर के आस पास। लगभग 4.50 किलोमीटर के रास्ते पर लाइट के नाम पर सिर्फ पोल खड़े है प्रशाशन अगर अभी भी इसकी सुध ले तो मां मड़वारानी के दरबार देर शाम आने जाने वाले भक्तों को जंगली जानवरों से हताहत हो जाने का भय समाप्त हो जाएगा तथा भक्त सुगमता के साथ माता रानी के दरबार में पहुंच कर दर्शन लाभ ले सकेंगे।