SDM और पुलिस के सामने ग्रामीण व एसईसीएल के अधिकारी आपस में भिड़े👉🏻ग्रामीणों ने एसडीएम को कहा – आप यहां गुंडागर्दी कराने आये हो
👉🏻 भिलाई बाजार में त्रिपक्षीय वार्ता विफल होने के बाद घमासान
👉🏻भूविस्थापितों और प्रबंधन के बीच बढ़ता तनाव,अधिकारियों के तेवर आग में घी डाल रहे
कोरबा (आधार स्तंभ) : कोयला खदानों को प्रारंभ करने और फिर इसका विस्तार कर उत्पादन की मात्रा बढ़ाने के लिए SECL के द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए वर्षों पूर्व अर्जित की गई जमीनों के अधिग्रहण का सिलसिला चलाया जा रहा है। 11 साल पहले अर्जित की गई ग्राम गेवरा बस्ती की जमीन का अधिग्रहण करने के लिए आज भिलाई बाजार के सरस्वती शिशु मंदिर में त्रिपक्षीय वार्ता रखी गई। प्रशासन की ओर से एसडीएम तन्मय खन्ना उपस्थित रहे।SECL की तरफ से अधिकारी शिखर सिंह चौहान, नरसिम्हा राव उर्फ मंगू, आशुतोष कुमार तथा ग्राम वासियों की ओर से उनके प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में विस्थापित उपस्थित रहे। इस बैठक के दौरान ग्रामीणों ने अपनी जमीन देने से इनकार करते हुए लंबित मांगों का निराकरण और सारी स्थिति स्पष्ट करने की बात कही।
👉🏻 वार्ता विफल रही,तंज पर बवाल

वार्ता पूरी तरह से विफल हो गई और इसके बाद सभी कोई शिशु मंदिर भवन से बाहर निकलने लगे। इस दौरान ग्रामीण अपना आपस मे बातचीत कर रहे थे, और आपसी कहा-सुनी भी हो रही थी कि वहां पर शिखर सिंह चौहान जो गेवरा के अधिकारी हैं, उनके द्वारा वार्ता विफल होने को लेकर कमेंट किया गया। जब मौजूद ग्रामीण आशीष पटेल ने टिप्पणी करने से मना किया तो सबक सिखाने की बात कहते हुए ज्यादा बात कर रहा है, कोयला में दबा दूंगा पता नहीं चलेगा, ऐसे शब्दों का उपयोग किया। इस बात को लेकर कहा-सुनी होने लगी और बाद जमकर मारपीट में तब्दील हो गई। बताया जा रहा है कि दोनों पक्ष को चोटें आई हैं। आशीष पटेल ने इस मामले की रिपोर्ट तत्काल थाना में दर्ज कराया। हरदी बाजार पुलिस ने शिखर सिंह चौहान के विरुद्ध धारा 296 ,115 (2), 351(3) बीएनएस के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया है।
👉🏻हरदी बाजार के बाद भिलाई बाजार में जमकर विरोध
बताते चलें कि इससे पहले हरदी बाजार की जमीन का अधिग्रहण करने के लिए प्रबंधन के द्वारा त्रिपक्षीय वार्ता रखी गई थी जिसे नहीं करने के संबंध में गांव के लोगों ने आवेदन एसडीएम को सौंपा। हरदी बाजार में त्रिपक्षीय वार्ता का विरोध के बाद भिलाई बाजार में भी इसका विरोध देखने को मिला। हरदी बाजार के ग्रामीणों ने अपने 7 मांगों का निराकरण होने से पहले किसी भी सूरत में सर्वे आदि नहीं करने की बात कह दी है तो वहीं भिलाई बाजार के लोग भी इसी रास्ते पर चल पड़े हैं।
👉🏻पूर्व के कड़वे अनुभव दे रहे सबक
दरअसल, इससे पहले SECL की कुसमुण्डा व दीपका परियोजना विस्तार के लिए जमीनों का अधिग्रहण किया गया। वर्षों पूर्व अर्जित की गई जमीनों का अब जाकर अधिग्रहण के मामले में भूविस्थापितों के द्वारा वर्तमान दर से मुआवजा के साथ-साथ नौकरी और व्यवस्थित बसाहट देने की मांग की जा रही है। प्रबंधन द्वारा अपनी कोयला जरूरत को पूरा करने की मंशा बताते हुए शासन-प्रशासन से सहयोग हासिल कर भूविस्थापितों का कहीं ना कहीं अहित किया जा रहा है। उन्हें बिना बसाए ही उजाड़ दिया जा रहा है, कोयला चोर बनाया जा रहा है। मलगांव,सुआभोडी इसका जीता-जागता उदाहरण है जिसे लेकर जमीनों की हेर-फेर के मामले में सीबीआई जांच भी चल रही है।हालांकि जांच किस दिशा में जा रही है, सीबीआई अधिकारी क्या कर रहे हैं यह अभी तक किसी को पता नहीं है,मीडिया को भी नहीं। सीबीआई जांच चल भी रही है या फिर सिर्फ इसकी आड़ लेकर मामले को दबाने का काम हो रहा है, यह भी किसी को पता नहीं है। भूविस्थापित परिवारों द्वारा SECL को अपनी जमीन, संपत्ति, घर,मकान सब कुछ दे देने के बाद दर-दर की ठोकर खानी पड़ रही है। ऐसी पूर्व की घटनाओं, वादाखिलाफी, मौकापरस्ती से सबक लेते हुए हरदी बाजार और भिलाई बाजार के ग्रामीणों ने अपनी मांग पूरी होने से पहले किसी भी सूरत में जमीन नहीं देने का ऐलान कर दिया है। प्रबंधन के अधिकारियों द्वारा अपने-अपने हिसाब से बनाए जाने वाले नियम-कायदे और कालांतर में की गई मनमानियों के कारण आज सिरदर्द बढ़ता जा रहा है, वहीं जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के लिए भी SECL की मनमानियों के कारण दिक्कत खड़ी हो रही है।
👉🏻दलालों ने चांदी काटी, वास्तविक ग्रामीण धक्के खा रहे हैं
इसमें कोई संदेह नहीं कि SECL क्षेत्र में जमीनों के आने की जानकारी होने के बाद प्रशासनिक स्तर के अधिकारियों ने भी जमकर चांदी काटी। राजस्व और SECL विभाग के अधिकारियों की सांठगांठ के कारण जमीनों की जमकर हेरफेर हुई है। ऐसे प्रकरण उजागर भी हुए, प्रमाणित भी हुए लेकिन इन पर आज तक ना तो जिला प्रशासन और न ही SECL प्रबंधन FIR करा सका है। ऐसे लोग गलत काम करने के बाद भी बेखौफ होकर घूम रहे हैं और इन पर कोई आंच नहीं आ रही है। दूसरी तरफ जो वास्तविक भूविस्थापित और किसान हैं, वह अपनी जमीन का उचित मुआवजा हासिल करने के लिए धक्के खा रहे हैं, दर-दर भटक रहे हैं जिनमें 152 लोग भी शामिल हैं। वास्तविक लोगों को आंदोलन और धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है जबकि दलाल नुमा लोग, जमीनों की बेईमानी करने वाले अधिकारी और उनके अधीनस्थ कर्मचारी चांदी काटकर लाखों करोड़ रुपए का मुआवजा उठा चुके हैं। कहीं ना कहीं इस पूरे मामले में खासकर मलगांव, सुआभोड़ीं के प्रकरण में केंद्र और राज्य सरकार की अनदेखी बड़े पैमाने पर जिम्मेदार है। ऐसी घटना से हरदी बाजार और भिलाई बाजार वाले सतर्क हो चुके हैं। भविष्य में हाथ मलने की बजाय अभी संघर्ष कर लेना उचित समझ रहे हैं।