कोरबा-कटघोरा(आधार स्तंभ) : शासकीय भूमि पर दुकान, गोदाम और मकान बनाने वाले कसनियां निवासी व्यापारी शंकर लाल अग्रवाल की कहानी में ट्विस्ट आते जा रहा है और फर्जीवाड़े की परत खुलती जा रही है। गौरतलब हो कि अभी तक इस बात की शिकायत हो रही थी कि 0.95 डिसमिल खाते की भूमि होने के बाद 2.90 एकड़ में कब्जा कर दुकान, गोदाम और मकान बना लिया गया है लेकिन शिक़ायतकर्ता के द्वारा मिसल बंदोबस्त, अधिकार अभिलेख एवं नक्शा निकलवाने के बाद जो सच्चाई सामने आई है उससे तो पैरों तले जमीन खिसक रही है।
दरअसल, पूरी जमीन मिसल बंदोबस्त में चरनोई (घास) जमीन है। एक राजस्व अधिकारी के अनुसार राजस्व नियमों में चरनोई (घास) जमीन चारागाह/गौचर भूमि होती है,जो गांव के पशुओं के चारे के लिए आरक्षित होती है, जिसका कभी न तो पंजीयन होता और न ही पट्टे में दिया जा सकता और इसका उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं बदला जा सकता।
एक बार बड़े झाड़ के जंगल का पट्टा बन सकता है लेकिन चरागाह की जमीन को अपने निजी नाम में करने का कोई उपाय नहीं है। बावजूद इसके शंकर लाल ने खसरा नंबर 312/1/ख को अपने नाम पर फर्जी ढंग से चढ़वाया और बेखौफ दुकान,गोदाम और मकान बनवा लिया।