श्याम मंदिर विवाद : भक्ति के नाम पर अपमान, अन्याय के विरुद्ध उठी सशक्त आवाज़

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कोरबा(आधार स्तंभ) : श्री श्याम मंदिर कोरबा जहां वर्षों से भक्ति और सेवा की परंपरा रही, वहीं बीते कुछ समय से लगातार विवादों और आरोपों के घेरे में आता रहा है। संस्था से जुड़े वरिष्ठ सदस्य और पूर्व कोषाध्यक्ष गोपाल अग्रवाल ने संस्था में हो रहे कथित अन्याय और अपमान के विरुद्ध सशक्त आवाज़ उठाई है। उन्होंने बताया कि

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27 मई 2024 को आयोजित बाबा का वार्षिक उत्सव जहां भक्ति और उल्लास का माहौल होना चाहिए था, वहां बाउंसरों के जरिए श्याम भक्तों को रोके जाने, चंदा राशि के आधार पर भेदभाव करने और मंच से मनमाने ढंग से पदों की घोषणा जैसे कई गंभीर आरोप लगे।

1 हजार रुपए से कम राशि देने वालों की रसीद तक काटने से मना किया गया। मंच से ही कोषाध्यक्ष को अध्यक्ष घोषित कर दिया गया। कथित रूप से कहा गया – “अगर मनोज मन्नी अध्यक्ष बनेंगे, तो सभी श्याम प्रेमियों के कुर्ते सिलवाएंगे।”

जब कुछ सदस्यों और पूर्व अध्यक्षों ने समीक्षा सभा की मांग की, तो उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। सहायक पंजीयक द्वारा भेजे गए नोटिस को लेने तक से इनकार कर दिया गया।

1 अक्टूबर 2024 को एकतरफा तरीके से सदस्य सूची में 104 नए नाम जोड़े गए और 109 पुराने सदस्य हटा दिए गए।
विरोध के बावजूद चुनाव में कोषाध्यक्ष को अध्यक्ष घोषित किया गया। इसके विरुद्ध गोपाल अग्रवाल ने माननीय उच्च न्यायालय, छत्तीसगढ़ में याचिका दायर की। 8 महीनों के भीतर, पंजीयक, रायपुर ने अदालत के निर्देशानुसार उस कार्यकारिणी को अमान्य घोषित कर दिया।

जब विपक्षी पक्ष ने इस निर्णय को चुनौती देते हुए स्टे मांगा, तो माननीय उच्च न्यायालय ने स्टे देने से इनकार कर दिया – जो स्वयं में बड़ा संदेश है।

गोपाल अग्रवाल का कहना है:
“यदि मेरी आवाज़ उठाने से संस्था का पैसा वापस आया, तो मैं फिर आवाज़ उठाऊँगा –
क्योंकि श्याम भक्तों का सम्मान सर्वोपरि है।

यह लड़ाई किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं है,यह संघर्ष है पारदर्शिता, परंपरा और भक्ति की गरिमा के लिए।”

श्याम मंदिर का भविष्य किस दिशा में जाएगा, यह तो समय बताएगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि कोरबा के सैकड़ों भक्त इस बार केवल कुर्ता नहीं, कर्म और चरित्र को वोट देना चाहते हैं।

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