22 वर्षों के छल से त्रस्त भू-विस्थापितों का अन्न-जल त्याग, गोमती केवट सहित अन्य का आंदोलन

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कोरबा-कुसमुण्डा(आधार स्तंभ) :  बुधवार को एसईसीएल कुसमुंडा परियोजना के भू-विस्थापित परिवारों का 22 वर्षों का धैर्य जवाब दे गया, जिसके परिणामस्वरूप गोमती केवट सहित 13 भू-विस्थापित परिवारों ने आज कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी अपनी पुश्तैनी जमीन कोयला खदान को सौंपने के बावजूद रोजगार के वादे पूरे न होने और लगातार उपेक्षा से आहत होकर, विस्थापित परिवारों ने अन्न-जल त्याग कर आर-पार के संघर्ष का रास्ता चुना ।

  • भूख हड़ताल का कारण: विस्थापितों का स्पष्ट आरोप है कि एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधन 22 वर्षों से उन्हें झूठे आश्वासन दे रहा है और रोजगार के पुराने एवं वैध प्रकरणों को जानबूझकर लंबित रखा गया है ।
  • प्रशासन की दखल: हड़ताल की गंभीरता और विस्थापितों की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए, बुधवार दोपहर तीन तहसीलदारों ने मौके पर पहुंचकर आंदोलनकारियों से मुलाकात की ।
  • हड़ताल का स्थगन: प्रशासनिक अधिकारियों ने भू-विस्थापित परिवारों को रोजगार की समस्या का त्वरित और स्थायी हल निकालने का ठोस आश्वासन दिया, जिसके बाद गोमती केवट एवं अन्य 13 विस्थापित परिवारों ने अपनी भूख हड़ताल को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया
  • आंदोलन की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन के दीपका दर्री और कटघोरा के तीन तहसीलदारों ने आंदोलन स्थल पहुंचकर भूविस्थापित परिवारों से चर्चा की उन्होंने कहा की जन्म प्रमाण पत्र तकनीकी दिक्कत आ रही है उसे प्रमाण पत्र प्रस्तुत दुरुस्त किया जाए अथवा किसी अन्य का नाम प्रस्तावित किया जाए ताकि प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सके ।

भू-विस्थापितों की पीड़ा और चेतावनी

भूख हड़ताल पर बैठी गोमती केवट ने भावुक होते हुए कहा, हमने अपनी जमीन दी, लेकिन कंपनी और प्रशासन ने हमसे हमारी पीढ़ियों का भविष्य छीन लिया 22 साल एक लंबा समय होता है, अब हमारे पास संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है एसईसीएल प्रबंधन की उदासीनता हमें इस कठोर कदम के लिए विवश कर रही है ।

भू-विस्थापित परिवारों ने स्पष्ट किया है कि यदि प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन अपने दिए गए आश्वासन को निश्चित समय-सीमा के भीतर पूरा नहीं करते हैं, तो वे एक बार फिर उग्र आंदोलन और अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने को मजबूर होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधन और जिला प्रशासन की होगी ।

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