जालसाजों से लेकर लोन प्रदाता बैंक भी जांच के दायरे में
कोरबा-पोड़ी उपरोड़ा(आधार स्तंभ) : कोरबा जिले में सरकारी जमीनों की जमकर बंदरबांट राजस्वकर्मियों की मिली भगत से हो रही है। जमीन के नक्शा,खसरा,रकबा और कई बार स्वरूप में तब्दीली करते हुए सरकारी जमीन को निजी बताकर तो वहीं सरकारी जमीनों पर बड़े पैमाने पर कब्जा करने के साथ आंशिक निर्माण करते हुए उसे निजी जमीन की तरह बिक्री करने के मामले सामने आ रहे हैं।
सरकारी जमीन का निजी जमीन की तरह पट्टा भी प्रदान कर दिया जा रहा है और फिर वह जमीन बिक्री भी हो रही है। शासकीय योजनाओं के तहत जमीन प्राप्त कर लेने के बाद भी जमीन अपने पास न रखकर दूसरों को गैरकानूनी तरीके से बिक्री कर देने के भी मामले सामने आए। इसी कड़ी में एक मामला सामने आया है जिसमें पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के पटवारी हल्का लाद में पदस्थ पटवारी जितेंद्र कुमार भावे के द्वारा अपने कार्यकाल में सरकारी जमीनों का निजी नामांतरण करते हुए पट्टा जारी किया गया। यह मामला संज्ञान में आने के बाद सरकारी जमीनों को वापस शासन के खाते में मर्ज करने की कार्रवाई प्रारंभ की गई तो रिकॉर्ड के अवलोकन के दौरान ज्ञात हुआ कि दो सरकारी जमीन बैंक में बंधक हैं। इन दोनों जमीनों के एवज में पट्टाधारक द्वारा केसीसी लोन ले लिया गया है। कोरबा जिले की सरकारी जमीन को निजी बनवाकर दुर्गा और बेमेतरा जिले के बैंक से दो अलग-अलग लोन उक्त जमीन को बंधक बनाकर प्राप्त कर लिया गया है। जांच आगे बढ़ी तो सारा मामला उजागर हुआ। बताया गया कि दोनों व्यक्ति दूसरे जिले से आकर यहां जालसाजी कर सरकारी जमीन हथिया लिये। नायब तहसीलदार की जांच को आगे बढ़ाते हुए एसडीएम तुलाराम भारद्वाज ने जांच प्रतिवेदन कलेक्टर अजीत वसंत के समक्ष प्रस्तुत किया और कलेक्टर ने जमीन अफरा-तफरी के गंभीर मामले में पटवारी को सस्पेंड कर दिया है। मामला अभी जांच में है।
कलेक्टर ने किया निलम्बित
अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पोडी उपरोड़ा से प्राप्त प्रतिवेदन अनुसार पटवारी जितेन्द्र कुमार भावे प.ह.नं.-20 लाद तहसील- पोड़ीउपरोड़ा (वर्तमान पदस्थापना तहसील कार्यालय अजगरबहार) के द्वारा अपने पदीय क्षेत्र के शासकीय कार्यों के प्रति उदासीनता एवं घोर लापरवाही बरती गई। इसके फलस्वरुप छ.ग. सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 (1) नियम-3 (क) (ख) (ग) का उल्लंघन होना पाया गया है।
छ.ग. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम-9 के तहत् तत्कालीन पटवारी जितेन्द्र कुमार भावे को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। निलंबन काल में इनका मुख्यालय तहसील कार्यालय बरपाली नियत किया गया है। निलंबन अवधि में नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी।