कोरबा (आधार स्तंभ) : कोरबा का शिक्षा विभाग अपने कारनामों के लिए अभी काफी सुर्खियों में है। मानदेय शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में सामने आ रही अनियमितता को देख कर लगता है कि विभाग ने नींद में मानदेय शिक्षक का पद निकाल दिया था और नींद टूटते ही अब अपनी गलतियों को सुधारने का प्रयास कर रहा है। जिसकी वजह से मानदेय शिक्षक के अभ्यर्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मामला करतला विकासखण्ड के ग्राम पंचायत बरपाली का है जहाँ पर शासकीय बालक प्राथमिक शाला के लिए मानदेय शिक्षक का एक पद शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया था। जिसके लिए लगभग 43 अभ्यर्थियों ने अपना आवेदन जमा किया है। आवेदन जमा लेने के बाद जब नियुक्ति के लिए बैठक लेने का समय आया तो अचानक विभाग को होश आता है कि विद्यार्थियों की दर्ज संख्या के आधार पर तो उक्त विद्यालय में पर्याप्त शिक्षक हैं फिर आनन फानन में शाला प्रबंधन समिति के साथ बैठक कर मानदेय शिक्षक के पद को निरस्त करते हुए प्रतिवेदन विभाग को भेज दिया जाता है। शासकीय बालक प्राथमिक शाला बरपाली में वर्तमान सत्र में बच्चों की दर्ज संख्या 88 है और वहाँ पहले से तीन शिक्षक पदस्थ हैं जो कि शासन की दर्ज संख्या के अनुपात के हिसाब से शिक्षकों की संख्या पर्याप्त है।
जब उक्त विद्यालय में पर्याप्त शिक्षक थे तो वहाँ मानदेय शिक्षक का पद निकालना शिक्षा विभाग की लापरवाही को दर्शाता है। जिसकी वजह से लगभग 43 अभ्यर्थी जिन्होंने वहाँ अपना आवेदन जमा किये हैं और नियुक्ति की उम्मीद लगाकर इंतजार में बैठे हैं उनके साथ बहुत बड़ा धोखा है। अभी तक उन 43 अभ्यर्थियों को जानकारी भी नहीं दी गई कि वहाँ का मानदेय शिक्षक का पद समाप्त कर दिया गया है। आवेदन का समय निकल जाने से वे अभ्यर्थी कहीं और प्रयास करते उससे भी वंचित हो गए हैं।
अब देखना यह है कि इस तरह के और कितने अनियमितता इस मानदेय शिक्षकों की भर्ती में देखने को मिलता है। अब सवाल यह उठता कि जब किसी स्कूल या शिक्षक के द्वारा इस तरह की गड़बड़ी की जाती है तो जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा त्वरित कार्यवाही किया जाता है लेकिन जब जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से ही इस तरह की गलती हो तब इस पर कार्यवाही कौन करे ?