कोरबा(आधार स्तंभ) : भ्रष्ट कार्यों और भ्रष्टाचारियों को बर्दाश्त नहीं करने का स्पष्ट निर्देश देने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार की नीति और निर्देश को विभागीय आधिकारी ही पलीता लगाने में जोर-शोर से जुटे हुए हैं। इस मामले में कोरबा जिले का शिक्षा विभाग भी कम नहीं है। पिछले महीनों में संभाग आयुक्त ने स्वयं निरीक्षण में यहां की गड़बड़ी पकड़ी, क्या डीईओ के संरक्षण बगैर यह सब घपला सम्भव हो सकता है? शिक्षा विभाग शिक्षा की योजनाओं के बहाने कमीशनखोरी का गढ़ बनकर रह गया है और शिक्षा से लेकर सरकारी स्कूलों का स्तर गिरता जा रहा है लेकिन पदस्थ होने वाले कई DEO-BEO की जेब और संपत्ति बढ़ती जा रही है।
पूर्व् में यहां पदस्थ रहे सहायक संचालक के आर डहरिया पर दोष सिद्ध होने के बाद भी आज पर्यंत कार्रवाई लंबित है। मूलतः व्याख्याता के. आर. डहरिया ने सहायक संचालक शिक्षा विभाग बनाये जाने के बाद विवादित कार्यों को अंजाम दिया व खुलेआम भ्रष्टाचार को अंजाम दिया। उनकी लगातार शिकायत होते रही है। पिछली कुछ शिकायतो की जांच हेतु संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बिलासपुर द्वारा गठित दल ने अपने प्रतिवेदन में के. आर. डहरिया को दोषी करार देते हुए कार्यवाही हेतु उच्च कार्यालय को पत्र भी भेजा है परंतु आज पर्यत कार्यवाही न कर केवल कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि जानबूझकर के.आर.डहरिया को बचाया जा रहा है। कोई कार्यवाही नहीं होने से इनका उत्साह बढ़ा हुआ है।
पूर्व् बीईओ चंद्राकर ने 10 करोड़ दबाए..!
पोड़ी उपरोड़ा में पदस्थ रहे बीईओ एके चंद्राकर के द्वारा गलत तरीके से शासकीय राशि को अपने खाते में अंतरण कराया गया। श्री चंद्राकर के द्वारा 10 करोड रुपए से अधिक की वित्तीय अनियमितता को अंजाम दिया गया। इसके अलावा उन्होंने विद्यार्थियों के गणवेश हेतु कपड़ा में भी बड़ा झोलझाल किया, जो भी लाखों का है। तत्कालीन राजीव गांधी शिक्षा मिशन के संचालक मोहम्मद कैसरअब्दुल हक के द्वारा शिकायत मिलने पर इस मामले की जांच कराई गई और जांच में तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी एक के चंद्राकर पूर्णतः दोषी भी पाए गए हैं। इस तरह के मामले में एक बीआरसी पर दर्ज कराई गई FIR का उदाहरण भी दिया गया लेकिन आज पर्यंत श्री चंद्राकर पर किसी भी तरह की कार्यवाही उनके धनबल के कारण नहीं हो सकी है।
अधिकारी और बाबू की मिलीभगत!
शिक्षा विभाग के अधिकारी और बाबू की मिलीभगत से फाईलों को दबाकर रख देने का काम किया जा रहा है। शिक्षा महकमे को पिछले कुछ वर्षों से भ्रष्टाचार का गढ़ बनाने में डीईओ से लेकर अधीनस्थ जिम्मेदार बाबुओं ने कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। एक पुराने बाबू ने चंद्राकर की फाइल दबाकर रखा है।