रिपोर्ट : कुलदीप चौहान रायगढ़
रायगढ़(आधार स्तंभ) : जिले के लैलूंगा थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम इंद्रा नगर में दो डिलीवरी एजेंटों के साथ मारपीट और लूटपाट की गंभीर घटना सामने आई है। पीड़ितों के अनुसार, पार्सल का बकाया भुगतान मांगने पर चार लोगों ने न केवल उन्हें गालियाँ दीं बल्कि कमरे में बंद कर बेल्ट व लकड़ी से पीटा और मोबाइल फोन, बाइक तथा नकदी भी अपने पास रख लिया। मामले में लैलूंगा थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई प्रारंभ कर दी है।
घटना का विवरण : ग्राम गमेकेला निवासी सावन पैकरा और ग्राम झगरपुर निवासी नित्यानंद डेल्की, जो ‘डिलीवरी प्राइवेट लिमिटेड’ में कार्यरत हैं, 26 जून 2025 को डिलीवरी हेतु इंद्रा नगर के निवासी विक्की सारथी के घर गए थे। वहां दो पार्सल दिए गए, जिसमें से एक का भुगतान मौके पर किया गया जबकि दूसरे पार्सल की राशि बाद में देने का आश्वासन दिया गया।
शाम लगभग 6:30 बजे जब दोनों कर्मचारी बकाया राशि लेने विक्की सारथी के घर दोबारा पहुंचे, तो विक्की ने पैसे देने से इनकार कर गाली-गलौज शुरू कर दी। पीड़ितों का आरोप है कि इसके बाद विक्की और उसके तीन अन्य साथियों ने मिलकर दोनों को कमरे में बंद कर दिया और बेल्ट व लकड़ी से मारपीट की।
कथित रूप से लूटा गया सामान :
Nothing Phone 1 (कीमत ₹40,000)
Poco मोबाइल (कीमत ₹15,000)
Vivo मोबाइल (कीमत ₹14,000)
HF Deluxe मोटरसाइकिल (CG13 Z 2614) (कीमत ₹40,000)
डिलीवरी की नकदी राशि ₹5,000
पीड़ितों के अनुसार, उक्त सामग्री आरोपियों ने अपने पास रख ली, और आश्वासन दिया कि अगले दिन लौटा देंगे, लेकिन 30 जून तक भी कोई सामग्री वापस नहीं की गई।
चोटें और मानसिक आघात : सावन पैकरा को बाएं हाथ और पैर में चोटें आईं, जबकि नित्यानंद डेल्की की उंगली से खून निकलने लगा था। दोनों को काफी मानसिक आघात भी पहुँचा, जिसके चलते वे तत्काल रिपोर्ट दर्ज नहीं करा सके। परिजनों की सलाह के बाद 30 जून को लैलूंगा थाना पहुंचकर उन्होंने लिखित शिकायत सौंपी।
एफआईआर दर्ज, विवेचना जारी : लैलूंगा पुलिस ने प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 309(6) एवं 127(2) के अंतर्गत मामला पंजीबद्ध कर लिया है। पुलिस का कहना है कि जांच प्रारंभ कर दी गई है, और जल्द ही आरोपियों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
न्याय की अपेक्षा : यह मामला केवल मारपीट या लूटपाट का नहीं, बल्कि मेहनतकश युवाओं की सुरक्षा और गरिमा से भी जुड़ा है। डिलीवरी सेवाओं में कार्यरत हजारों युवा दिन-रात मेहनत करते हैं। यदि उन्हें इस प्रकार का व्यवहार और हिंसा झेलनी पड़े, तो यह समूचे समाज के लिए चिंताजनक है।
सवाल यह भी उठता है कि – क्या चार दिनों तक पुलिस की जानकारी न होना सिस्टम की कमजोरी नहीं है? अब जबकि मामला उजागर हुआ है, उम्मीद की जानी चाहिए कि आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी हो और पीड़ितों को न्याय मिले।