रायगढ़ (आधार स्तंभ) : रायगढ़ जिले के तमनार तहसील के ग्राम पंचायत सराईटोला के आश्रित ग्राम मुडागांव में अदानी समूह द्वारा जंगल कटाई शुरू होने की खबर ने स्थानीय स्तर पर हलचल मचा दी है। इस घटनाक्रम की खास बात यह है कि यह कटाई उस समय शुरू हुई, जब एक दिन पहले ही छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने तमनार में “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया था। इस विरोधाभास ने स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों में रोष पैदा कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, मुडागांव में अदानी समूह की एक परियोजना के लिए जंगल की कटाई शुरू की गई है। इस कार्य के लिए सैकड़ों पुलिस बल की तैनाती की गई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह कटाई बड़े पैमाने पर हो रही है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इस क्षेत्र में घने जंगल और जैव-विविधता से भरपूर वन क्षेत्र हैं, जो न केवल पर्यावरणीय संतुलन के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि स्थानीय आदिवासी समुदायों की आजीविका का भी आधार हैं।
कटाई की खबर के बाद ग्रामीणों में असंतोष बढ़ रहा है। कई लोगों ने इसे पर्यावरण के साथ-साथ उनकी संस्कृति और आजीविका पर हमला बताया है। ग्रामीणों का आरोप है कि कटाई के लिए उनकी सहमति नहीं ली गई और न ही इसकी पर्याप्त जानकारी दी गई।
वित्त मंत्री का ‘एक पेड़ माँ के नाम’ संदेश
दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने 25 जून 2025 को तमनार में “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत लोगों से पर्यावरण संरक्षण की अपील की थी। इस अभियान के तहत उन्होंने पेड़ लगाने और पर्यावरण को सहेजने का संदेश दिया था। लेकिन एक ही दिन बाद मुडागांव में जंगल कटाई की खबर ने उनके इस संदेश को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि एक तरफ सरकार पर्यावरण संरक्षण की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ औद्योगिक परियोजनाओं के लिए जंगलों का विनाश किया जा रहा है। यह दोहरा रवैया ग्रामीणों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
अदानी समूह का पक्ष
अदानी समूह की ओर से अभी तक इस कटाई को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, समूह पहले भी कई बार यह दावा कर चुका है कि उनकी परियोजनाएँ पर्यावरण के प्रति संवेदनशील हैं और वे हरित ऊर्जा और सतत विकास को बढ़ावा देते हैं। हाल ही में, अदानी समूह ने गुजरात के कच्छ में भारत का पहला ऑफ-ग्रिड 5 मेगावाट ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट शुरू किया है, जिसे पर्यावरण के लिए एक बड़ा कदम बताया गया। इसके अलावा, खावड़ा में दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क बनाने की योजना भी समूह की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता का हिस्सा है।
लेकिन मुडागांव के मामले में स्थानीय लोगों का कहना है कि हरित परियोजनाओं के नाम पर जंगल कटाई को जायज नहीं ठहराया जा सकता।
स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों की चिंता
पर्यावरणविदों का कहना है कि रायगढ़ का यह क्षेत्र जैव-विविधता के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ के जंगल न केवल कार्बन अवशोषण में मदद करते हैं, बल्कि कई दुर्लभ प्रजातियों का भी निवास स्थान हैं। जंगल कटाई से न केवल पर्यावरण को नुकसान होगा, बल्कि स्थानीय आदिवासी समुदायों की आजीविका पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
एक स्थानीय कार्यकर्ता ने कहा, “जंगल हमारी माँ हैं। इन्हें काटने का मतलब है हमारी जड़ों को काटना। सरकार और कंपनियाँ हमें बिना बताए हमारी जमीन और संसाधनों पर कब्जा कर रही हैं।”
विवाद के संभावित प्रभाव
यह घटना कई मायनों में महत्वपूर्ण है। पहला, यह पर्यावरण संरक्षण और औद्योगिक विकास के बीच टकराव को उजागर करती है। दूसरा, वित्त मंत्री के संदेश और जंगल कटाई के बीच का विरोधाभास सरकार की नीतियों पर सवाल उठाता है। तीसरा, स्थानीय समुदायों में बढ़ता असंतोष सामाजिक और राजनीतिक तनाव को जन्म दे सकता है।
आगे क्या?
स्थानीय लोग और पर्यावरण कार्यकर्ता इस कटाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं। कुछ संगठनों ने इस मुद्दे को लेकर कानूनी कार्रवाई की बात भी कही है। दूसरी ओर, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अदानी समूह और छत्तीसगढ़ सरकार इस विवाद को कैसे संभालते हैं। क्या सरकार इस कटाई को रोकने के लिए कोई कदम उठाएगी, या यह परियोजना निर्बाध रूप से जारी रहेगी?
इस बीच, यह घटना एक बार फिर विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को रेखांकित करती है। रायगढ़ के इस मामले पर न केवल स्थानीय, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी नजर रखी जा रही है।