भारतीय स्टेट बैंक बरपाली पर जुर्माना आरोपित, वकील शिव चौहान ने किया पैरवी, परिवादी को दिलाया भुगतान

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बरपाली(आधार स्तंभ) : सेवानिवृत्त शासकीय कर्मचारी के बचत खाता से बिना उसकी जानकारी और सहमति के ही 3.53 लाख रुपए किसी अन्य अज्ञात के खाता में ट्रांसफर कर दिया गया। उपभोक्ता आयोग ने इस मामले में बैंक पर जुर्माना आरोपित करते हुए समय पर राशि का भुगतान नहीं करने पर ब्याज सहित अदायगी का आदेश दिया है।

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मामला भारतीय स्टेट बैंक की शाखा बरपाली का है जहां पीड़ित शासकीय कर्मचारी का खाता संचालित है। उक्त बैंक में उसका का लेन-देन है। 22/07/2024 को विरोधी पक्षकार बैंक के द्वारा पीड़ित के बिना जानकारी व बिना सहमती के उसके राशि 3,53,000/-रू. (तीन लाख तिरपन हजार रूपये) को अन्य अज्ञात व्यक्ति को लाभ पहुंचाते हुए अन्य अज्ञात व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया जिसकी जानकारी होने पर उसने बैंक प्रबंधक से सम्पर्क कर कारण पूछा तो उनके द्वारा सही जानकारी ना देकर टाल मटोल की गई। कहा कि कुछ दिन रुक जाओ आपका पैसा वापस आपके खाते में आ जाएगा। आश्वसन देने पर परिवादी बैंक का रोज चक्कर काटता रहा, फिर भी रूपये का भुगतान नहीं किया ना ही उसके खाता में वापस जमा किया गया। बैंक का यह दायित्व रहा है कि वह अपने ग्राहक / परिवादी के जमा का सुरक्षा करे परंतु सेवा में कमी की गई है। इसी दौरान दिनांक 12/09/2024 को बैंक ने मात्र 2,50,000/-रू. (दो लाख पचास हजार रूपये) को वापस पीड़ित के खाता में जमा किया लेकिन शेष राशि 1,03,000/- रू. (एक लाख तीन हजार रूपये) को आज पर्यन्त खाता में वापस जमा नहीं किया, ना ही परिवादी को भुगतान किया गया। छल कर उसके राशि को अवैध गबन की लिखित शिकायत 25/12/2024 को पुलिस थाना उरगा में तथा 30/12/2024 को पुलिस अधीक्षक व कलेक्टर कोरबा के जनदर्शन में किया लेकिन बैंक के प्रभाव में आकर जांच कार्यवाही न कर परिवादी के रकम को वापस जमा व भुगतान नहीं किया गया। शारीरिक रूप से कमजोर एवं वृद्ध पीड़ित को बैंक ने जानबूझकर अपने कार्यालय अनेकों बार बुलाया। अंततः पीड़ित परिवादी को उसके खाताा की रकम से वंचित होना पड़ रहा है जिस कारण आर्थिक, शारीरिक एवं मानसिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है।

पीड़ित ने अंततः मामला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, कोरबा में लाया। आयोग ने विचारण में कहा कि यदि यह मान भी लिया जाये की तकनीकी त्रुटिवश उक्त राशि किसी अन्य व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर हो गई थी तब भी विरोधी पक्षकार बैंक का यह दायित्व था कि उक्त त्रुटि की जानकारी प्राप्त होने पर तत्काल परिवादी के खाते से ट्रांसफर की गई राशि 3,53,000/- रू. परिवादी को एकमुश्त वापस लौटाता परन्तु विरोधीपक्षकार द्वारा परिवादी के खाते से ट्रांसफर की गई राशि को लगभग 8 माह में 5 किश्तों में परिवाद के लंबनकाल के दौरान वापस लौटायी गयी जिससे परिवादी को आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक रूप से परेशान होना पड़ा है। चूँकि बैंक द्वारा परिवादी के खाते से ट्रांसफर की गई राशि 3,53,000/-रू. परिवादी को वापस लौटा दी गई है इसलिए उक्त राशि पर परिवादी मात्र ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। पीड़ित परिवादी ने 1,00,000/-रू. व्यवसायिक कदाचरण के लिए 50,000/- रू. दिलाये जाने का निवेदन किया है। इस प्रकरण में दोनों पक्ष को सुनने उपरांत आयोग अध्यक्ष श्रीमती रंजना दत्ता, सदस्य पंकज देवड़ा व ममता दास ने निर्णय दिया है।

वकील शिव चौहान

आयोग ने दिया यह निर्णय

  1. विरोधीपक्षकार, परिवादी को उसके खाते से ट्रांसफर की गई राशि 3,53,000/-रू. (अक्षरी तीन लाख तिरपन हजार रूपये) पर राशि हस्तांरण दिनांक 22/07/2024 से परिवादी को राशि वापस भुगतान किये जाने के दिनांक तक (किश्तों में भुगतान के पश्चात् शेष बचत राशि पर) 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से आदेश दिनांक से 30 दिवस के भीतर प्रदान करेगा।
  2. विरोधीपक्षकार, परिवादी को शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति के एवज में 20,000/-रु. (अक्षरी बीस हजार रूपये) प्रदान करेंगे।
  3. विरोधीपक्षकार, परिवादी को वादव्यय के मद में 7,000/-रु (अक्षरी सात हजार रूपये) भुगतान करेंगे।
  4. विरोधीपक्षकार द्वारा सभी आदेशित राशियों का भुगतान परिवादी को आदेश दिनांक से 30 दिन के भीतर भुगतान करेगें ऐसा न करने पर आदेश दिनांक से भुगतान दिनांक तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज आदेशित राशि पर भुगतान करना होगा। परिवादी की ओर से अधिवक्ता शिवचरण चौहान ने पैरवी किया।
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