जेठ ने बहू से की छेड़छाड़,पति सहित ससुर व जेठ को सजा…

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कोरबा (आधार स्तंभ) :  अपर सत्र न्यायालय (फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ) कोरबा ने विचाराधीन एक प्रकरण में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अतिरिक्त लोक अभियोजक मोहन सोनी ने बताया कि घटना उरगा थाना से संबंधित है। घटना दिनाँक 6 मार्च 2025 को रात 8 बजे प्रार्थिया खाना खा कर अपने ससुराल स्थित घर के अपने कमरे में थी। उसका पति खाना खा कर बाहर घूमने निकला था, तभी पीड़िता के कमरे में उसका जेठ (आरोपी)आ गया और दरवाजा बंद कर पीड़िता को पकड़ कर अश्लील हरकत , छेड़छाड़ करने लगा। पीड़िता ने मना किया और जोर-जोर से चिल्लाने लगी, तो आरोपी कमरे से बाहर चला गया।

शोर सुनकर उसकी सास ,ससुर नारायण पटेल (65) ,पति सुनील कुमार पटेल (28) वहां आ गए, तब पीड़ित ने उन्हें सारी बात बताई कि आरोपी जेठ हरप्रसाद पटेल(41) ने उसके साथ छेड़छाड़ की है और आज से पहले भी वह गलत नीयत रखते हुए, अश्लील बात बोल चुका है।

इसी समय आरोपी जेठ कमरे में आ गया व गलत इल्ज़ाम लगाती है कहकर गंदी गालियां देते हुवे मारपीट करने लगा। वहां मौजूद पीड़िता के ससुर और पति ने भी घर को बदनाम करती है, कहकर पीड़िता के साथ मारपीट किये। मारपीट से पीड़िता को चोट भी आई।

पीड़िता ने थाना उरगा में आरोपियों के विरुद्ध शिकायत दर्ज करवाई, जहां आरोपी पति सुनील कुमार पटेल एवं ससुर नारायण पटेल के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धारा 296,115(2) सपठित धारा 3(5) के तहत एवम जेठ के विरुद्ध धारा 74,75(2),296,115(2)के तहत अपराध पंजीबद्ध कर अभियोग पत्र अपर सत्र न्यायाधीश सीमा प्रताप चंद्रा के समक्ष प्रस्तुत किया गया।पर्याप्त साक्ष्य व ठोस दलीलें पेश कर अतिरिक्त लोक अभियोजक मोहन सोनी ने मजबूती से अपना पक्ष रखा। न्यायालय द्वारा आरोपी ससुर नारायण पटेल एवम पति सुनील कुमार पटेल को धारा 115 (2) धारा 3(5) में दोषी करार देते हुए न्यायालय उठने तक की सज़ा और 1000 रुपए अर्थदण्ड, आरोपी जेठ हरप्रसाद पटेल को धारा 74 में 1 वर्ष की कैद, 1000 रुपए अर्थदण्ड, और धारा 75(2) में 1 वर्ष + 1000 अर्थदण्ड, धारा 115(2) में न्यायालय उठने तक की सज़ा और 1000 रुपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।

ताज़ा प्रकरण समाज और परिवार में महिलाओं की सुरक्षा पर जहां एक ओर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है, कि आज महिलाएं अपने ही घर में सुरक्षित नहीं हैं, वहीं अपर सत्र न्यायाधीश सीमा प्रताप चंद्रा द्वारा दिया ये निर्णय अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली महिलाओं के मन में और समाज में न्याय व कानून के प्रति विश्वास पैदा करता है।

 

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