करतला (आधार स्तंभ) : बी ए एम एस डॉ. प्रदीप कश्यप का कारनामा। आयुर्वेद की डिग्री लेकर करता है एलोपैथी का ईलाज। खबर लगाने पर कर देता है पत्रकारों की शिकायत। औचक निरीक्षण में एलोपैथी ईलाज करते पाया गया था फिर भी कोई कार्यवाही नहीं, स्वास्थ्य विभाग दे रहा संरक्षण।
मामला करतला विकासखंड के अमलीभांठा गांव का है, जहाँ पर एक बी ए एम एस डॉ. प्रदीप कश्यप द्वारा सुरुचि क्लिनिक के नाम पर पूरा अस्पताल चलाया जा रहा है। डॉ. प्रदीप कश्यप एक आयुर्वेद डिग्रीधारी डॉक्टर है किंतु उसके द्वारा एलोपैथी पद्धति से मरीजों का ईलाज किया जाता है। इतना ही नहीं उसके द्वारा अपने क्लीनिक को पूरे अस्पताल का स्वरूप देकर रखा गया है। उसके क्लीनिक में मरीजों को भर्ती करने की सुविधा है, खून जांच किया जाता है यहाँ तक कि मरीजों को भर्ती कर खून भी चढ़ाया जाता है।
स्वास्थ्य विभाग के औचक निरीक्षण में पकड़ाया, पर नहीं हुई कार्यवाही
जब स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी हुई तो इसके क्लीनिक का औचक निरीक्षण किया गया जिसमें निरीक्षण टीम द्वारा एलोपैथी पद्धति से ईलाज करना पाया गया। जब निरीक्षण टीम उसके क्लिनिक पहुँची तब एक महिला को भर्ती कर आर एल का बॉटल लगाया गया था साथ ही उसके क्लिनिक में एलोपैथी दवाईयां और जांच उपकरण भी पाए गए थे। इन सब के बावजूद स्वास्थ्य विभाग द्वारा डॉ. प्रदीप कश्यप के खिलाफ किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं की गई सिर्फ उनको एक नोटिस जारी किया गया था। इससे साफ प्रतीत होता है कि डॉ. प्रदीप कश्यप को स्वास्थ्य विभाग का भी संरक्षण प्राप्त है।
मामला उजागर करने पर कर देता है शिकायत
डॉ. प्रदीप कश्यप द्वारा किये जा रहे अवैध तरीके से ईलाज के खिलाफ जब कोई आवाज उठाता है तो उसके खिलाफ झूठी शिकायत कर मामले को दबाने की कोशिश की जाती है। कुछ दिनों पूर्व उसके क्लीनिक का खबर कवर करने गए पत्रकार प्रमोद गुप्ता और उसके साथी के खिलाफ एक लाख रुपये मांगने की झूठी शिकायत डॉ. प्रदीप कश्यप द्वारा किया गया है।
पूर्व में भी खबर प्रकाशन पर भेजा था लीगल नोटिस
इसके पूर्व भी जब स्वास्थ्य विभाग द्वारा उसके क्लिनिक के निरीक्षण में एलोपैथी ईलाज करना पाया गया था तब उसका समाचार आधार स्तम्भ, समाचार मित्र एवं अन्य कई सारे न्यूज़ पोर्टल द्वारा प्रकाशित किया गया था तब डॉ. प्रदीप कश्यप द्वारा आधार स्तंभ और समाचार मित्र न्यूज़ पोर्टल के संपादकों को वकील के जरिये लीगल नोटिस भेजकर मामले को दबाने का प्रयास किया गया था। लेकिन जब संपादकों द्वारा लीगल नोटिस का जवाब दिया गया तब उनके द्वारा कोई भी परिवाद दायर नहीं किया गया। इससे साफ प्रतीत होता है कि डॉ. प्रदीप कश्यप गलत ढंग से क्लिनिक का संचालन करता है इसीलिए जवाब से डरकर उन्होंने आगे परिवाद दायर नहीं किया सिर्फ सामने वाले को डराने के उद्देश्य से लीगल नोटिस भेजा गया था। क्लिनिक के रूप में अवैध ढंग से अस्पताल संचालन को कोई उजागर न कर सके इसलिए पत्रकारों का शिकायत करना, लीगल नोटिस भेजना डॉ. प्रदीप कश्यप का पुराना हथकंडा है।