जंगलों पर हो रहा अवैध कब्जा
यहां के भूमि माफिया मसहती गांव की नाम की आड़ में जंगल की जमीन को बेच रहे हैं और उसे प्लॉट्स में बदल रहे हैं। यह स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि जमीन की माप में भी हेराफेरी की जा रही है। 1 डिसमिल की जमीन को 2 डिसमिल, 50 डिसमिल को 1 एकड़ और फिर समतलीकरण कर निर्माण कार्यों की शुरुआत की जा रही है। इलाके में बड़े-बड़े पेड़ भी काटे जा चुके हैं और उनका कहीं पता नहीं चल रहा।
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वन विभाग की लापरवाही
वन विभाग की इस पर पूरी तरह से चुप्पी बनी हुई है। या तो उन्हें जानकारी नहीं है, या फिर वह जानकर भी इस मामले में कार्रवाई करने में नाकाम हैं। तहसीलदार और पटवारी की उदासीनता की वजह से इस जंगली इलाके में कब्जा बढ़ रहा है। पुराने घने जंगलों की जगह अब खाली प्लॉट्स और निर्माण हो रहे हैं।
भू-माफियाओं की बढ़ती ताकत
कुछ साल पहले, जब चुहिया से अजगरबहार की तरफ कोई यात्रा करता था, तो चारों ओर घना जंगल नजर आता था, लेकिन अब वहां प्लॉट्स, निर्माण कार्य और माफिया का कब्जा दिखाई दे रहा है। इस क्षेत्र के पर्यटन स्थल के रूप में पहचान बनने के बाद भू-माफियाओं की गतिविधियां और बढ़ गई हैं। इन माफियाओं का कहना है कि सब कुछ “सेटिंग” के तहत चल रहा है और अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं।