कोरबा(आधार स्तंभ) : St. Xaviers Public School, कोरबा से कक्षा 12वीं में अध्ययनरत अनुसूचित जाति वर्ग के छात्र को निष्कासित किए जाने का मामला अब गरमा गया है। परिजन का आरोप है कि विद्यालय के शिक्षक जितेन्द्र कुमार पांडेय ने व्यक्तिगत दुर्भावना के चलते छात्र को झूठे प्रकरण में फंसाया और विद्यालय प्रबंधन ने भी शिक्षक का साथ देते हुए छात्र को बीच सत्र में निकाल दिया।
परिवार का कहना है कि छात्र ने पूर्व में शिक्षक की अनुचित गतिविधियों और धमकियों का विरोध किया था। इसी के बाद से शिक्षक ने बदले की भावना से उसे निशाना बनाना शुरू कर दिया। 22 जुलाई 2025 को हुई कथित मारपीट की घटना में छात्र का कोई प्रत्यक्ष संबंध न होने के बावजूद उसका नाम एफआईआर में दर्ज कराया गया। जबकि अन्य आरोपियों को “साथी” बताकर छोड़ दिया गया।
पीड़ित छात्र की जन्मतिथि 19 दिसंबर 2007 है, यानी वह नाबालिग है। इसके बावजूद उसके खिलाफ BNS की धारा 296, 115(2), 3(5) में FIR दर्ज कर दी गई। परिजनों का आरोप है कि यह Juvenile Justice Act, 2015 का उल्लंघन है, क्योंकि 7 वर्ष से कम सजा वाली धाराओं में नाबालिग पर एफआईआर दर्ज नहीं होनी चाहिए। शिकायत में कहा गया है कि पुलिस ने FIR को CCTNS पोर्टल पर सार्वजनिक भी कर दिया, जबकि JJ Act की धारा 74 स्पष्ट रूप से नाबालिग की पहचान छिपाने का प्रावधान करती है।
परिजन बताते हैं कि उन्होंने पहले विद्यालय प्रबंधन और प्रिंसिपल से बात की और इसके बाद लिखित शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को भी दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब मजबूर होकर उन्होंने जिला पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत शिक्षक जितेन्द्र कुमार पांडेय और विद्यालय प्रबंधन पर अपराध दर्ज करने की मांग की है।
इस घटना ने शिक्षा जगत और अभिभावकों के बीच चिंता पैदा कर दी है। सवाल यह उठ रहा है कि जब JJ Act और SC/ST Act जैसे कड़े कानून मौजूद हैं, तो फिर नाबालिग छात्र के साथ इस तरह का अन्याय कैसे हो गया और क्यों शिक्षा विभाग ने समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया। अब सबकी नजरें पुलिस की कार्रवाई पर टिकी हैं।