बिलासपुर (आधार स्तंभ): तौरा-बिलासपुर के बीच 4 नवंबर को हुए रेल हादसे की जांच अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। कमिश्नर ऑफ रेलवे सेटी (सीआरएस) बी.के. मिश्रा की टीम ने शुक्रवार को बयान और जांच के अंतिम दिन विभिन्न विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों से विस्तृत बयान लिए।
जांच के दौरान हादसे की तकनीकी, मानव त्रुटि और सिग्नलिंग सिस्टम से जुड़ी सभी संभावनाओं की गहन पड़ताल की गई। दो दिन में अफसरों ने 29 अधिकारी-कर्मचारियों के बयान दर्ज किए हैं। डीआरएम कार्यालय में हुई जांच के दौरान सीआरएस ने सेक्शन, यार्ड, इंजीनियरिंग, सिग्नल और कैबिन विभाग के इंचार्ज अधिकारियों और संबंधित कर्मचारियों से एक-एक कर पूछताछ की। पूछताछ के बाद बाहर निकले कुछ कर्मचारियों ने बताया कि अधिकारी उनसे यह जानकारी ले रहे थे कि हादसे वाले दिन यानी 4 नवंबर को वे कितने से कितने समय तक ड्यूटी पर थे और उस समय उन्होंने कैबिन या मैप पर क्या देखा।
प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि हादसे वाली यात्री ट्रेन ने दो बार रेड सिग्नल पार किया था। ट्रेन की रफ्तार उस वक्त लगभग 76 किलोमीटर प्रति घंटा थी। ड्राइवर ने आपात स्थिति में इमरजेंसी ब्रेक का भी इस्तेमाल किया, जिससे स्पीड घटकर 47 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच गई, लेकिन ट्रेन आउटर पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। इस हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 20 से अधिक यात्री घायल हुए थे। हादसे के बाद रेलवे ने सभी संबंधित विभागों को सतर्क रहने और सिग्नलिंग सिस्टम की तकनीकी समीक्षा के निर्देश दिए हैं।



