पूछा- अनुपम दास ने पैसा लेकर फर्जी नौकरी लगाई,क्या उस पर कार्रवाई करेंगे?
कहा- GM के अड़ियल रवैया से अर्धनग्न प्रदर्शन करने मजबूर हुए
कोरबा(आधार स्तंभ) : कोरबा जिले में भूविस्थापित परिवारों की महिलाओं ने अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया। खदान प्रभावितों के द्वारा विभिन्न परियोजनाओं में किए जाने वाले आंदोलन-प्रदर्शन की कड़ी में यह पहली बार हुआ है जब महिलाओं ने अर्धनग्न होकर दफ्तर के भीतर प्रदर्शन किया। कुसमुंडा परियोजना कार्यालय में किए गए इस प्रदर्शन ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रबंधन के अधिकारियों की उदासीनता कहें या फिर उनके द्वारा भूविस्थापितों को जमीन के बदले रोजगार देने के मामले में बरती गई लापरवाही या फिर फर्जी नौकरियां में ज्यादा रुचि लेने के कारण उत्पन्न हुए हालात में से आखिर कौन इस प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार है? क्या इस घटनाक्रम को लेकर एसईसीएल के जिम्मेदार अधिकारी शर्मिंदा हैं क्योंकि भूविस्थापित रोजगार एकता महिला किसान ने 10 दिन पहले ही चेतावनी दे दी थी। इस अवधि में कोई पहल नहीं हुई तो सब्र का बांध इस कदर फूट पड़ा।

महिलाएं देर रात तक यहीं डटी रहीं लेकिन बात करने कोई नहीं आया
क्या तय होगी इनकी जिम्मेदारी
8 जुलाई को भूविस्थापित रोजगार एकता महिला किसान के द्वारा मांगों का जिक्र करते हुए आवेदन कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कटघोरा,तहसीलदार दर्री, महाप्रबंधक महोदय secl मुख्यालय बिलासपुर, महाप्रबंधक कुसमुंडा क्षेत्र, थाना प्रभारी कुसमुंडा को प्रेषित किया/सौंपा गया था। माँगों के साथ अंत में लेख है कि- .उपरोक्त मांगो को 10 दिवस के अंदर मानते हुए भुविस्थापित उम्मीदवारों के साथ न्याय करें। पत्र प्राप्ति के पश्चात भी हमें न्याय नहीं मिला तब हम सभी भूविस्थापित उम्मीदवारों महिला/पुरुष के साथ 18 तारीख दिन शुक्रवार को महाप्रबंधक कार्यालय कुसमुंडा के सामने अर्ध नग्न प्रदर्शन/अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन किया जाएगा जिसकी सम्पूर्ण जवाबदारी secl कुसमुंडा क्षेत्र जिम्मेदार अधिकारी एवं मुख्यालय बिलासपुर के जिम्मेदार अधिकारी जय कुमार फ्रैंकलिन DT, हरीश दुहन CMD, बिरंची दास DP की होगी। अब क्या इस पूरे घटनाक्रम के लिए इनकी जवाबदेही तय की जाएगी जिन्होंने आवेदन के 10 दिन के भीतर किसी भी तरह की पहल अर्धनग्न प्रदर्शन न करने देने को लेकर नहीं की।
ये हैं प्रमुख मांगें, झूठे आश्वासनों से त्रस्त हो चुके
भूविस्थापित महिलाओं ने कहा कि वह एसईसीएल के झूठे आश्वासनों से त्रस्त हो चुके हैं। जब कभी खदान में प्रदर्शन किया जाता है तो उन्हें गिरफ्तार करवाकर जेल भेज दिया जाता है। बातचीत कर समाधान करने और नौकरी,मुआवजा, बसाहट देने का आश्वासन दिया जाता है और फिर सब कुछ भूल जाते हैं।
बार-बार के झूठे आश्वासन से त्रस्त होकर इन्होंने मांग की है कि :-
1. 1978 से 1988 के बीच लंबित रोजगार प्रकरणों को अतिशीघ्र पूरा किया जाए और सही उम्मीदवार को
रोजगार प्रदान किया जाए ।
- जिन सही उम्मीदवार के स्थान पर फर्जी व्यक्तियो को प्रबंधन द्वारा भुविस्थापितो का परिवार बताकर रोजगार दिया है ऐसे व्यक्ति पर तत्काल निलंबन आदेश जारी करते हुए उनका पीएफ, ग्रेजवेटी, मेडिकल एवं सुविधाओं से वंचित किया जाए या 1978 से 1988 से भूमि अधिग्रहण से रोजगार प्राप्त व्यक्ति अगर अपना त्याग पत्र देकर नौकरी छोड़ देता हैं तब यह माना जाए की वह व्यक्ति फर्जी दस्तावेजों के सहारे रोजगार प्राप्त किया हैं ऐसे व्यक्ति को समस्त सुविधाओं से वंचित कर उसका सत्यापन कराने के बाद लाभ प्रदान करें।
- भुविस्थापित उम्मीदवार के लिए वैकल्पिक रोजगार व्यवस्था किया जाएं साथ ही पूर्व में जिन उम्मीदवारों को वैकल्पिक रोजगार पर रखकर निकाला गया हैं उनको भी परियोजना में रखा जाए ।
- भुविस्थापित उम्मीदवारो के द्वारा आंदोलन/हड़ताल किया गया है जिस पर प्रबंधन द्वारा उन पर पुलिस कार्यवाही किया गया था उन सभी उम्मीदवारों का केस SECL प्रबंधन वापस लेवे ।