बिलासपूर (सधार स्तंभ) : रोजी-रोटी की तलाश में निकले थे, मगर मंजिल तक पहुंचने से पहले ही जिंदगी उलट गई। मंगलवार शाम लालखदान के पास कोरबा मेमू ट्रेन के मालगाड़ी से भिडऩे के बाद मलबे और चीखों के बीच कई परिवारों की उम्मीदें दम तोड़ गईं। हादसे में घायल हुए वे लोग अब सिम्स और रेलवे अस्पताल में पड़े हैं। शरीर पर पट्टियां, आंखों में दर्द और दिल में एक ही सवाल- अब घर कैसे चलेगा…?
ग्राम परसदा के दिव्यांग छउरा भास्कर ने रोते हुए बताया कि वे अपनी पत्नी जयकुमारी और 7 वर्षीय बेटे राज के साथ खाने-कमाने के लिए पुणे जा रहे थे। अचानक जोरदार धमाका हुआ… सब कुछ बिखर गया। डिब्बे के टुकड़े मेरे ऊपर गिरे। पैर तो पहले से काम नहीं करता था, अब हाथ भी नहीं उठ रहा, सिसकते हुए बोले छउरा ‘‘अब उनका बेटा रेलवे अस्पताल में भर्ती है और पत्नी जयकुमारी की आंखों में बेबसी है। वह कहती हैं ‘पति और बेटा दोनों घायल हैं, मैं अकेले कैसे कमाऊं? घर कैसे चलेगा?’
अब कौन कमाएगा?
इसी तरह परसदा के 55 वर्षीय शत्रुघ्न भास्कर और उनकी पत्नी मथुरा बाई भी हादसे में घायल हैं। शत्रुघ्न के सिर में गहरी चोट है, जबकि मथुरा बाई की कमर जवाब दे चुकी है। शत्रुघ्र का कहना है कि ‘हम दोनों ही बिस्तर पर हैं। अब कौन कमाएगा? किससे मदद मांगें?’ हादसे ने इन परिवारों की रोटी छीन ली, उम्मीदें तोड़ दीं। वे जिन पटरियों पर भविष्य की ओर बढ़ रहे थे, अब वहीं ज़िंदगी की पटरी थम गई है।



