कोरबा(आधार स्तंभ) : कोरबा जिले में युक्तियुक्तकरण के नाम पर शिक्षा विभाग द्वारा जो खेल खेला गया है वह समझ से परे है। जब उसी विकासखंड के स्कूलों में शिक्षक का पद खाली था तो शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण के जरिये अन्य विकासखंड के स्कूलों में क्यों भेजा गया? आखिर क्या खेल चल रहा है शिक्षा विभाग में? यह एक गंभीर जांच का विषय है। इस पर संबंधित विभाग के उच्चाधिकारियों को संज्ञान लेने की आवश्यकता है।
कोरबा जिले में युक्तियुक्तकरण के आड़ में शिक्षा विभाग द्वारा बड़ा खेल खेला गया है। वर्तमान में मानदेय शिक्षक की भर्ती के लिए विभिन्न स्कूलों में रिक्त पदों के जारी होने पर यह गड़बड़ी धीरे धीरे सामने आ रही है। आखिर शिक्षा विभाग के पास उसी विकासखंड में शिक्षकों का पद रिक्त है तो फिर युक्तियुक्तकरण के माध्यम से आसपास के स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों को नियुक्त करने के बजाय दूर के स्कूलों में या अन्य विकासखंड में क्यों भेजा गया? और अब वहाँ मानदेय शिक्षकों की भर्ती की जा रही है आखिर ऐसा क्यों? यह एक गंभीर जांच का विषय है कि आखिर शिक्षा विभाग में युक्तियुक्तकरण के आड़ में क्या खेल चल रहा है?
ऐसा ही एक मामला करतला विकासखंड के शासकीय प्राथमिक शाला रामपुर में सामने आया है। वर्तमान सत्र में उक्त विद्यालय में 110 बच्चे अध्ययनरत हैं और सिर्फ एक प्रधान पाठक पदस्थ है जो कि दिव्यांग है। युक्तियुक्तकरण में एक शिक्षक की पदस्थापना उस विद्यालय में हुआ है किंतु अभी तक उसके द्वारा पदभार ग्रहण नहीं किया गया है। अभी मानदेय शिक्षक की भर्ती में उक्त विद्यालय के लिए मानदेय शिक्षक का दो पद निकाला गया है। गत सत्र 2024-25 में शासकीय प्राथमिक शाला रामपुर में बच्चों की दर्ज संख्या 126 थी और वहाँ एक प्रधान पाठक पदस्थ हैं और एक शिक्षक अटैच में थे जो कि वापस अपने मूल पदस्थापना में चले गए। दर्ज संख्या के अनुपात के आधार पर वहाँ कुल 5 शिक्षकों की आवश्यकता थी। युक्तियुक्तकरण में उक्त विद्यालय में सिर्फ एक शिक्षक की पदस्थापना की गई जबकि करतला विकासखंड के बहुत सारे शिक्षकों को दूरस्थ स्कूलों में या अन्य विकासखंडों के स्कूलों में भेज दिया गया। जब करतला विकासखंड के विद्यालय में ही शिक्षक की आवश्यकता थी तो इसी विकासखंड के अतिशेष शिक्षकों को इस विद्यालय में क्यों पदस्थ नहीं किया गया? और अब वहाँ मानदेय शिक्षक की भर्ती की जा रही है।
यह एक गंभीर विचार करने वाला विषय है कि आखिर युक्तियुक्तकरण के आड़ में शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा क्या खेल खेला जा रहा है? आखिर इसके पीछे अधिकारियों की क्या मानसिकता है? समय के साथ युक्तियुक्तकरण के झोलझाल के और भी कई मामले सामने आने की संभावना है।
जनपद सभापति सूरज नंदे ने लिखा जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र
करतला जनपद के सभापति सूरज नंदे ने जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा को पत्र लिखकर शासकीय प्राथमिक शाला रामपुर की स्थिति से अवगत कराया है कि उक्त विद्यालय में सिर्फ एक दिव्यांग प्रधान पाठक है जो न ठीक से बोल पाता है और न ही लिख पाता है जिसकी वजह से वहाँ की शिक्षा स्थिति चरमरा गई है। बच्चे विद्यालय आते हैं और मध्यान्ह भोजन कर के वापस चले जाते हैं। जनपद सभापति सूरज नंदे ने उक्त विद्यालय में तत्काल शिक्षक व्यवस्था करने की मांग की है।