नोटिस और पेनाल्टी तक सिमटा पर्यावरण संरक्षण मंडल

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कोरबा (आधार स्तंभ)  :   औद्योगिक नगर कोरबा, जहां ऊर्जा उत्पादन की पहचान है, अब वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। बिजली घरों की ऊंची चिमनियों से निकलने वाला धुआं, कोयला खदानों की डस्ट और लगातार बढ़ते मालवाहक वाहनों से उठता धूल का गुबार इन सबने शहर की हवा को भारी और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बना दिया है।

कोरबा जिले में कोयला परिवहन के साथ-साथ सीमेंट, फ्लाई ऐश और अन्य औद्योगिक सामग्री के ट्रक और डंपर चौबीसों घंटे सडक़ों पर दौड़ते रहते हैं। इससे सडक़ किनारे बस्तियों और बाजारों में हवा में धूल का स्तर चिंताजनक रूप से बढ़ गया है। वहीं दूसरी ओर, एनटीपीसी, सीएसईबी, बालको और कई निजी बिजली संयंत्रों में बिजली उत्पादन के बाद निकलने वाली राख (फ्लाई ऐश) भी प्रदूषण की बड़ी वजह बन चुकी है। हवा के तेज बहाव में यह राख आसपास के गांवों और कॉलोनियों तक फैल रही है। फ्लाई ऐश का सुरक्षित निपटान करने की जो व्यवस्थाएं की गई हैं, वे अक्सर पर्याप्त साबित नहीं हो रही हैं। कई बार राख भंडारण तालाबों से उडक़र खेतों और घरों तक पहुंच जाती है।

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह स्थिति यूं ही बनी रही तो आने वाले वर्षों में कोरबा के लिए स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी संतुलन, दोनों के लिए गंभीर संकट खड़ा हो सकता है। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा समय-समय पर उद्योगों को नोटिस और जुर्माने तो लगाए गए हैं, लेकिन इन कार्रवाइयों का वास्तविक असर अब तक दिखाई नहीं दे रहा है। उद्योग प्रबंधन की मनमानी और लापरवाही के चलते कोरबा की हवा में जहर घुलता जा रहा है।

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