रायगढ़(अधार स्तंभ) : तमनार तहसील के अंतर्गत ग्राम पंचायत सरायपाली में एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां नव दुर्गा फ्यूल्स कंपनी प्रबंधन पर एक असहाय विधवा कोटवार सुलोचनी चौहान की सेवा भूमि पर पिछले 20 वर्षों से अवैध कब्जा करने का आरोप लगा है। इस कब्जे ने सुलोचनी चौहान के परिवार की आजीविका को गहरी चोट पहुंचाई है, क्योंकि यह भूमि उनके जीवन-यापन का एकमात्र साधन थी।

सुलोचनी चौहान ने अपनी सेवा भूमि को वापस पाने के लिए सुशासन त्यौहार के दौरान तमनार तहसीलदार विकास जिंदल के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था। इस आवेदन की सुनवाई के बाद तहसीलदार ने सुलोचनी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए 12 जून 2025 को नव दुर्गा फ्यूल्स कंपनी के प्रबंधन को आदेश जारी किया। आदेश में कंपनी को 15 दिनों की समय सीमा के भीतर सेवा भूमि को खाली कर कोटवार सुलोचनी चौहान को वापस करने का निर्देश दिया गया था। यह आदेश कोटवारों के पारंपरिक अधिकारों और उनकी सेवा भूमि की सुरक्षा के लिए लागू नियमों के तहत था, जो पीढ़ियों से उनके परिवारों के भरण-पोषण का आधार रही है।
तहसीलदार के स्पष्ट आदेश के बावजूद, नव दुर्गा फ्यूल्स कंपनी प्रबंधन ने इस निर्देश का पालन नहीं किया। निर्धारित 15 दिनों की समय सीमा बीत जाने के बाद भी कंपनी ने सेवा भूमि को खाली नहीं किया, जिससे सुलोचनी चौहान और उनके परिवार की परेशानियां और बढ़ गईं। यह घटना न केवल प्रशासनिक आदेशों की अवहेलना को दर्शाती है, बल्कि एक कमजोर वर्ग की महिला के अधिकारों का हनन भी दर्शाती है।
न्याय की इस लड़ाई में सुलोचनी चौहान ने स्वास्तिक मजदूर सेवा समिति से सहायता मांगी। उन्होंने समिति के रायगढ़ जिला अध्यक्ष पिंटू सिंह को लिखित आवेदन देकर अपनी जमीन वापस दिलाने की गुहार लगाई। पिंटू सिंह ने तुरंत इस मामले को गंभीरता से लिया और संगठन के साथ मिलकर इस मुद्दे को उठाने का निर्णय लिया।
स्वास्तिक मजदूर सेवा समिति के सदस्यों ने सुलोचनी चौहान के हक की लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए नव दुर्गा फ्यूल्स कंपनी के कार्यालय पहुंचने का प्रयास किया। लेकिन कंपनी प्रबंधन ने सिक्योरिटी गार्डों के माध्यम से संगठन के सदस्यों को कंपनी परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया और गेट बंद कर दिया। इससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। पिंटू सिंह के नेतृत्व में समिति के सदस्यों ने कंपनी के बाहर धरना-प्रदर्शन शुरू किया और कंपनी प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि कंपनी तहसीलदार के आदेश का पालन करे और सुलोचनी चौहान की सेवा भूमि को तत्काल वापस करे।
प्रदर्शन की सूचना मिलने पर तमनार की नायब तहसीलदार रश्मि पटेल रात 8:15 बजे धरना स्थल पर पहुंचीं। उन्होंने दोनों पक्षों—कोटवार सुलोचनी चौहान और नव दुर्गा फ्यूल्स कंपनी प्रबंधन—के बीच मध्यस्थता करने की कोशिश की। इस दौरान उन्होंने मामले को सुलझाने के लिए कंपनी को एक और 15 दिन की समय सीमा दी। हालांकि, यह कदम सुलोचनी चौहान और स्वास्तिक मजदूर सेवा समिति के लिए संतोषजनक नहीं था, क्योंकि कंपनी पहले ही तहसीलदार के आदेश की अवहेलना कर चुकी थी।
कोटवार सेवा भूमि का मामला केवल जमीन का विवाद नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण समुदायों के पारंपरिक अधिकारों और उनकी आजीविका से जुड़ा है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कोटवारों को उनके कार्यों के बदले सेवा भूमि दी जाती थी, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी उनके परिवारों के भरण-पोषण का साधन रही है। इस तरह की भूमि पर अवैध कब्जा न केवल कोटवारों के अधिकारों का हनन है, बल्कि सामाजिक न्याय और सुशासन के सिद्धांतों के खिलाफ भी है।
सुलोचनी चौहान और स्वास्तिक मजदूर सेवा समिति अब इस मामले को और ऊंचे स्तर पर ले जाने की तैयारी में हैं। समिति के जिला अध्यक्ष पिंटू सिंह ने कहा कि यदि कंपनी प्रबंधन ने इस बार भी आदेश का पालन नहीं किया, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे और इस मामले को उच्च न्यायालय तक ले जाएंगे। साथ ही, उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि नव दुर्गा फ्यूल्स कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि कोटवार सुलोचनी चौहान को उनका हक मिल सके।
यह मामला न केवल एक व्यक्तिगत कोटवार की लड़ाई है, बल्कि उन तमाम ग्रामीण समुदायों की आवाज है, जिनके पारंपरिक अधिकारों को बड़े उद्योगों और कॉरपोरेट्स द्वारा कुचला जा रहा है। तहसीलदार के आदेश की अवहेलना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह सुशासन की भावना के खिलाफ भी है। अब देखना यह है कि क्या नव दुर्गा फ्यूल्स कंपनी प्रशासन के आदेश का पालन करती है, या यह मामला और गंभीर रूप लेता है।
इस मामले में जनता और सामाजिक संगठनों की नजरें प्रशासन और कंपनी प्रबंधन के अगले कदम पर टिकी हैं।