नई दिल्ली(आधार स्तंभ) : रविवार की रात आसमान एक अनोखी रंगशाला में बदलने वाला है। 7 सितंबर की रात से 8 सितंबर की भोर तक चांद धरती की छाया में पूरी तरह डूब जाएगा और तब उसकी उजली चांदी-सी चमक गहरे लाल रंग में बदल जाएगी। यह होगा पूर्ण चंद्रग्रहण।
वह क्षण जब पूरा ब्रह्मांड एक खगोलीय नाटक रच देगा। भारत में यह ग्रहण रात 8:58 बजे शुरू होगा। रात 11 बजे से 12:22 बजे तक चांद सुर्ख लाल रूप धारण करेगा और यह अद्भुत दृश्य 2:25 बजे सुबह तक चलेगा। करीब 5 घंटे 27 मिनट की इस खगोलीय घटना में, पूरे 82 मिनट तक ब्लड मून हर किसी को अपनी रहस्यमयी आभा से बांधे रखेगा। खगोलविद कहते हैं, यह रात सितारों के चाहने वालों और आसमान में झांकने वालों के लिए जीवनभर यादगार बनने वाली है। 27 जुलाई 2018 के बाद ऐसा चांद पूरे देश में एक समान दिखेगा।
परंपरा और मान्यता
भारतीय संस्कृति में ग्रहण हमेशा से श्रद्धा और आस्था का विषय रहे हैं। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस दौरान पूजा-पाठ और भोजन से परहेज की परंपरा रही है। वैज्ञानिक दृष्टि से भोजन पर ग्रहण का कोई असर नहीं होता, लेकिन मान्यताओं की कड़ियां अब भी लोगों की आस्था से जुड़ी हैं। वहीं दूसरी ओर खगोल विज्ञान प्रेमियों के लिए यह रात किसी उत्सव से कम नहीं, जहां आस्था और विज्ञान दोनों अपनी-अपनी भाषा में इस घटना का महत्व बताते हैं। इस रात आसमान हमें यह याद दिलाएगा कि ब्रह्मांड सिर्फ ऊपर टंगा नहीं है, वह हमारे भीतर भी जिज्ञासा और विस्मय की लौ जलाता है।
चांद क्यों हो जाता है लाल
नासा के वैज्ञानिक बताते हैं कि जब सूर्य की किरणें पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरती हैं, तो नीली रोशनी बिखर जाती है और लाल तरंगें लंबी दूरी तय कर चांद तक पहुंच जाती हैं। यही लाल आभा चांद की सतह को रंग देती है और हमें आसमान में सुर्ख लाल चांद दिखाई देता है।
कहां और कैसे देखें
इस दृश्य का पूरा आनंद तभी मिलेगा जब आप रोशनी से दूर किसी खुले स्थान मैदान, छत या पार्क में जाएं। शहरों की कृत्रिम रोशनी यानी लाइट पॉल्यूशन इस अनुभव को फीका कर सकती है।
दुर्लभ नहीं, मगर खास जरूर
खगोलविदों के अनुसार चंद्रग्रहण साल में दो बार तक हो सकते हैं, लेकिन यह पूर्ण चंद्रग्रहण है। यानी चांद का पूरा चेहरा धरती की छाया में डूब जाएगा। भारत में पिछली बार ऐसा दृश्य 2018 में देखने को मिला था। अगली बार इंतजार 31 दिसंबर 2028 तक करना होगा।