कटघोरा वनमंडल में फिर से स्टाप डेम की आड़ में भ्रष्टाचार का खेल और धन की बंदरबांट शुरू

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3.50 मीटर की नींव को 2 फ़ीट में निपटा रहे

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कोरबा(आधार स्तंभ) :  कटघोरा वनमंडल में फिर से स्टाप डेम की आड़ में भ्रष्टाचार का खेल और धन की बंदरबांट शुरू हो गई है। पहले तत्कालीन डीएफओ शमा फारुखी और अब एसडीओ संजय त्रिपाठी खेला कर रहे हैं। निर्माण के लिए निर्धारित मानकों का पालन नहीं करने की बात सामने आई है और इन सभी में एसडीओ की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। मैदानी स्तर पर वे निर्माण कार्यों को लेकर काफी गहरी भूमिका निभा रहे हैं। महकमे में चर्चा है कि वे पर्दे के पीछे स्वयं ठेकेदार की तरह काम कर रहे हैं और उनके अधीनस्थ रेंजर उनके राजदार बने हुए हैं।

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वर्तमान में कटघोरा वनमंडल अंतर्गत ईस्ट-वेस्ट रेल कॉरिडोर का निर्माण द्रुत गति से चल रहा है। कॉरिडोर से वन एवं जल संपदा के भारी नुकसान हुआ है जिसकी भरपाई के लिए ज्यादा प्रभावित रेंज जटगा एवं पसान में 20 से अधिक छोटे-छोटे नालों में स्टॉप डेम की स्वीकृति कैम्पा मद से हुई है। 12 करोड़ से अधिक की राशि से बनने वाले ये स्टॉप डेम जेब भरने का साधन बन गए हैं।

कटघोरा वनमंडल के पसान रेंज अंतर्गत गोलवा नाला, कलेवा नाला, साढ़ामार डेम, चचई नाला, मैनगढ़ी नाला, जटगा रेंज के थानडबरा, कहुआ नाला, बजरंग नाला और ग्राम मुड़मिसनी तथा तिरकुट्टी पहाड़ के ऊपर स्टापडेम का काम चल रहा है।
सभी स्टॉप डेम का निर्माण गुणवत्ताहीन और नियम-शर्तों को ताक पर रखकर कराया जा रहा है। जटगा रेंज में सारा कार्य एसडीओ त्रिपाठी की देखरेख में रेंजर अशोक मन्नेवार द्वारा कराया गया है। रेंजर ने बताया कि नींव 2 फीट अंदर तक खोदी गई है और फाउंडेशन तैयार किया गया है, ज्यादा जानकारी के लिए ठेकेदार से-मिलो।

वन विभाग के एक ठेकेदार ने बताया कि स्टॉप डेम में 70 प्रतिशत राशि फाउंडेशन के नीचे ही खर्च होना हैजमीन से साढ़े 3 मीटर नीचे नीव खोदी जाती है और स्टॉप डेम बनने के बाद नींव को फिर से नहीं खोदा जाता। अभी जटगा और पसान रेंज में मात्र 2 से ढाई फीट नींव खोदकर स्टाप डेम बनाया जा रहा है। उजागर होने पर फिर से खोदने की बात करते हैं जो गलत है। साढ़मार में पत्थर आ जाने से उसके ऊपर ही काम कर दिए हैं।

 मरवाही के बाद कटघोरा में बंदरबांट

सूत्र बताते हैं कि मरवाही वन मण्डल के प्रभारी डीएफओ रहते मनरेगा का 5 करोड़ बंदरबाट कर मामले में करीब 16 अधिकारियों को सस्पेंड कराने वाले एसडीओ संजय त्रिपाठी के खिलाफ जांच लंबित है। वे वर्तमान में कटघोरा वनमण्डल में पदस्थ हैं। विभागीय सूत्र बताते हैं कि यहां आने के बाद से निर्माण कार्यों का पूरा दारोमदार अपने हाथ में ले लिया है और रेंजर उनके राजदार बने हैं। 2019 में कई स्टॉप डेम प्रारंभ किए गए और कई का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो पाया। कई ठेकेदारों ने हाथ खींच लिए कि जितना काम पूरा हो गया, उसका भुगतान नहीं हुआ लेकिन कुछ ठेकेदारों ने राशि आहरण कर ली है और मजदूरों को भुगतान की बजाय खुद ही जेब भर लिए हैं। कई ठेकेदारों का भुगतान इसलिए नहीं हो पाया, क्योंकि काम कराने वाले और वर्क आर्डर देने वाले कई रेंजर स्थानांतरित हो गए या रिटायर हो गए।

डब्ल्यूबीएम के ऊपर सीसी रोड बना रहे

इसी तरह कसनिया डिपो में जहां कि मात्र लकड़ी लाने और ले जाने का काम होता है, वहां करीब 2 साल पहले 15-15 लाख की लागत से दो तरफ डब्ल्यूबीएम सडक़ का निर्माण कराया गया था। इसके बाद इस साल यहां 90 लाख की लागत से डब्ल्यूबीएम सडक़ क्रमांक-(1) 1400 मीटर लंबा मार्ग में सीसी रोड का निर्माण कराया जा रहा है। यह आश्चर्यजनक है कि डब्ल्यूबीएम सडक़ के ऊपर सीसी रोड का निर्माण बिना आवश्यकता के कराया जा रहा है। जानकारों की मानें तो यहां काष्ठागार में लकड़ी लाने और ले जाने का भी काम होता है, जिसके लिए डब्ल्यूबीएम सडक़ ही पर्याप्त है लेकिन सरकारी धन का दुरूपयोग किसी न किसी निर्माण कार्य के माध्यम से किया जाकर बंदरबांट के लिए इस तरह का खेल हो रहा है।

 अपनी सरकार में ही भाजपाई खामोश

कांग्रेस की सरकार में कटघोरा क्षेत्र के भाजपाई कटघोरा वनमंडल में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर काफी मुखर रहे और शिकवा-शिकायतों का भी सिलसिला चला। तात्कालीन डीएफओ शमा फारूखी ने जो स्टाप डेम से लेकर कैम्प और विभिन्न मदों में भ्रष्टाचार किया, ठेकेदारों और सप्लायरों के पैसे कमीशन के लिए रोके गए, वे आज भी हलाकान हैं। उसी राह पर कुछ कहानी अब चल रही है लेकिन भाजपाई खामोश हैं जबकि अब उनकी ही सरकार है। इसी तरह पुटुवा स्टापडेम का मामला कांग्रेस सरकार ने सदन में विपक्ष के विधायक धरमलाल कौशिक ने खूब जोर से उठाया लेकिन इसके बाद मामला ठण्डा पड़ गया। कटघोरा वनमंडल द्वारा स्टाप डेम की विधानसभा को दी गई जानकारी में आंकड़े छुपाए गए थे।
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