इंजीनियर दिवस पर विशेष : NTPC लारा परियोजना प्रमुख अनिल कुमार, कार्यकारी निदेशक से खास मुलाकात

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रायगढ़ (आधार स्तंभ) :  रायगढ़ छत्तीसगढ़ का संस्कृतिक राजधानी के रूप मे जाना जाता है। लेकिन विकास से राह पर रायगढ़ तेजी से विकास कर रहा है। एनटीपीसी जैसे देश का सबसे बड़े विद्युत कंपनी का सयंत्र लारा में स्थापित है। और छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा पावर प्लांट बनने की और अग्रसर है। पावर प्लांट जैसी बड़ी उद्योग में लगभग 95 प्रतिशत इंजीनियर होने है। आज की इंजीनियर दिवस पर एनटीपीसी लारा का परियोजना प्रमुख अनिल
कुमार, कार्यकारी निदेशक से खास मुलाक़ात |

  • प्रारंभिक शिक्षा और इंजीनियरिंग का सफ़र
    अनिल कुमार का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने अपने ग्राम के सरकारी।विद्यालय से प्राप्त की। विज्ञान विषयों में गहरी रुचि ने उन्हें इंजीनियरिंग की ओर प्रेरित किया। आगे चलकर उन्होंने उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय से इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के बाद साल 1987 में प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से उन्हें एनटीपीसी में नौकरी मिली और यही से उनकी इंजीनियरिंग की यात्रा व्यावसायिक रूप से प्रारंभ हुई।
  • विद्यालय से इंजीनियरिंग तक के सफर
    सन 1985 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई काफी कठिन माना जाता था। वर्तमान समय जैसे छोटे छोटे सहर में इंजीन्यरिंग कॉलेज नहीं होते थे। सहर में कुछ गिने चुने इंजीन्यरिंग कॉलेज हुआ करते थे। साथ ही परिवहन व्यवस्था भी सीमित हुआ करता था। इसीलिए इंजीन्यरिंग पढ़ाई करने के लिए बड़े सहर में जाना पड़ता था, जिस लिए बहुत कम बच्चे इंजीन्यरिंग पढ़ने के लिए आगे आते थे। इस प्रकार के सीमित संसाधनों और कठिन प्रतिस्पर्धा के बावजूद उन्होंने अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखा। पारिवारिक सहयोग और आत्मविश्वास ने उन्हें हर कठिनाई से उबारने में मदद की।
  • इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान की वह घटना को आज भी सबसे ज्यादा याद है?
    इंजीनियरिंग पढ़ाई के दौरान टीमवर्क और नवाचार की भावना उनके जीवन में गहराई से बसी । बड़े इंजीन्यरिंग कार्य में टीम वर्क के साथ साथ अलग अलग कार्य को सम्पादन करने केलिए टेमोन के बीच समन्वय होना भी समय पर कार्य सम्पादन के लिए बहुत जरूरी होता है। जैसे कहबत है “हर एक फ्रेंड जरूरी है” इंजीन्यरिंग मे टीम वर्क वीसे होता है। एक कठिन चुन्नौतिपूर्ण कार्य को आसानी से किया जा सकता है। इंजीनियरिंग केवल।तकनीकी ज्ञान नहीं बल्कि सामूहिक प्रयास और व्यावहारिक सोच का भी नाम है।
  • जिम्मेदारियों निर्वहन में पढ़ाई का महत्व
    अनिल कुमार का मानना है कि इंजीनियरिंग शिक्षा केवल मशीनों को समझना नहीं बल्कि समस्याओं को हल करने की क्षमता विकसित करना है। यही दृष्टिकोण आज उनकी जिम्मेदारियों को निभाने में मदद करता है- चाहे वह परियोजना प्रबंधन हो, टीम नेतृत्व हो या नई तकनीक को अपनाना है।
  • यहां तक पहुंचने के बाद क्या छूटा और क्या करना बाकी है?
    एनटीपीसी लारा जैसे छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे बड़ी विद्युत सयंत्र में शीर्ष पद तक पहुंचना गर्व की उपलब्धि है। फिर भी उनका मानना है कि सीखने और करने की प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होती। परिवर्तन संसार का नियम है और इंजीनियरिंग क्षेत्र ऐसा कार्य है जिसमे हमेशा नवाचार की गुंजाइस बनी रहती है और इस पर हमे कार्य करना है। श्री अनिल कुमार जी एक इंजीनियर होने के साथ साथ संगीत में उनका गहरा रुचि है। साथ ही घूमने का बड़े शौकीन है। अवसर के पश्चात संगीत एवं परिवार के साथ घूमने को ज्यादा महत्व देंगे।
  • इंजीनियरिंग की वर्तमान वैल्यू – आज भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई का महत्व कम नहीं हुआ है। बदलते समय में इंजीनियरिंग का स्वरूप जरूर बदला है, परंतु यह अब भी समाज और देश के विकास का सबसे मजबूत स्तंभ है। आधुनिक समाज में इंजीनिरिंग की पढ़ाई सिर्फ नौकरी करने तक सीमित नहीं रह गया है। आर्थिक उदारीकरण और ग्लोबालाइगेशन की दौर में इंजीनिरिंग पढ़ाई के बाद आपके लिए कई क्षेत्र में अवसर खुल जाते है। जिसके बदौलत नौकरी नहीं तो खुद का सयंत्र, व्यवसाय आदि किया जा सकता है।
  • भावी इंजीनियर्स के लिए संदेश
    जैसे कहाबत है इंजीन्यरिंग एक सदा बहार क्षेत्र है, यह सही है। इस क्षेत्र में जीवन भर आपको सीखने को मिलेगा, चुनौतियों से घबराना नहीं और हमेशा नैतिक मूल्यों के साथ काम करना है ।
  • AI और ऑटोमेशन का इंजीनियरिंग पर प्रभाव
    उनका मानना है कि आने वाले वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन इंजीनियरिंग क्षेत्र इस विद्या को नई ऊंचाइयों की ओर ले जाएगा । जहां एक ओर ये तकनीकें काम को आसान और तेज़ बनाएंगी, वहीं दूसरी ओर इंजीनियरों के लिए नए कौशल और ज्ञान हासिल करना अनिवार्य हो जाएगा ।
  • आम इंसान और इंजीनियर का दिमाग किसी भी संस्था के कार्य शैली को कैसे प्रभावित करता है, आपका निजी अनुभव ?
    उनका अनुभव बताता है कि इंजीनियर का दिमाग समस्याओं को हल करने के व्यावहारिक तरीके ढूंढता है, जबकि आम इंसान का दृष्टिकोण अक्सर सीधा और सरल होता है। दोनों दृष्टिकोणों का संतुलन किसी भी संस्था को संतुलित और व्यवहारिक दिशा देता है।
  • आपकी पढ़ाई का कोई ऐसा सिद्धांत या नियम जिसे आपने अपने जीवन में उतारा हो ?
    उनका प्रिय सिद्धांत है “ समस्या कितनी भी बड़ी क्यों न हो, उसका समाधान अवश्य होता है।” इसी सोच को उन्होंने अपने जीवन और कार्य में आत्मसात किया है और यही उन्हें निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
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